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घटना रिपोर्ट हुई थी इसी साल 8 एप्रिल को जब बिहार के गया में अस्पताल में अड्मिट एक 24 साल की महिला के साथ दुराचार और मृत्यु का मामला सामने आया था. देशव्यापी लाक्डाउन के चलते जहाँ समूचे देश से मज़दूर तबके के लोगों का पलायन जारी था, उसी बीच बिहार के गया जिले से ये एक घटना सामने आइ थी. दरअसल धर्मेंद्र चौधरी और उसकी पत्नी 25 मार्च को लुधियाना से अपने घर बिहार लौटे थे. धर्मेंद्र लुधियाना में साइकल पैंट का काम करता था और लाक्डाउन के चलते जब उसका काम धंधा बंद हो गया तो रुपए की किल्लत हो गई. लुधियाना में उसकी पत्नी 2 महीने गर्भ से थी मगर अक्केस्सिवे ब्लीडिंग होने की वजह से गर्भपात करवाना पड़ा था. उसके बाद भी ब्लीडिंग ना रुकने की वजह से और रोज़ी-रोटी छिन जाने की वजह से धर्मेंद्र 25 मार्च को महिला को ऐम्ब्युलन्स से बिहार लेकर आया और गया पहुचने के बाद इसको अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के इमर्जन्सी वार्ड में अड्मिट कराया गया था.
धर्मेंद्र की माँ का कहना था की ऐम्ब्युलन्स ने लुधियाना से यहाँ तक लाने की 40 हज़ार रुपए लिए थे जो की धर्मेंद्र के घरवालों और ससुराल ने मिल कर चुकाए थे. धर्मेंद्र की पत्नी को पहले शेर घाटी के सरकारी अस्पताल में दिखाया गया मगर कुछ फ़ायदा ना होने पर उसको वहाँ से मेडिकल कॉलेज ले गए जहाँ इलाज के बाद महिला में कोविड के संक्रमण होने की आशंका से 1 एप्रिल को आयसलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था. उस दौरान वार्ड में वो अकेली रहती थी और ये सुनने में आया था की इसी का फ़ायदा उठा कर एक डॉक्टर ने 2 और 3 एप्रिल को उसके साथ दुराचार किया.
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